रायपुर। दक्षिण विधान सभा उप चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार कांग्रेस से पहले घोषित करके उसने बाजी जीत ली है।सियासी गलियारे में यही हल्ला है। कांग्रेस की स्थिति हर जगह हरियाणा चुनाव जैसी ही है। गुटबाजी,रणनीतिक लापरवाही, स्टेट लीडर शिप में टकराव,चुनाव के नेतृत्व में टकराहट, ओव्हर कांफिडेस,कमजोर संगठन,और कांग्रेसी वर्कस की उपेक्षा। आदि ऐसे अनेक कारण है जिससे कांग्रेस यह उपचुनाव भी हार सकती है।
रायपुर दक्षिण विधान सभा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस में उम्मीदवार की सहमति को लेकर मतभेद है। कल तक प्रमोद दुबे के नाम की हवा थी। लेकिन अचानक से कांग्रेस चुनाव समिति ने 14 दावेदारों में दो नाम पर अपनी मोहर लगाई। पहले एक नाम था। फिर बाद में दूसरा नाम भी जोड़ा गया। प्रमोद दुबे और अकाश शर्मा का नाम है। वैसे कांग्रेसी यह कह रहे हैं कि युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा का नाम फायनल है। सूत्रों का कहना है कि नाम फायनल करने में भी गुटबाजी चली है। रविवार को हुई चुनाव समिति की बैठक में 14 दावेदारों के नाम आए थे। जिनमें प्रमोद दुबे, आकाश शर्मा, कन्हैया अग्रवाल और ज्ञानेश शर्मा के नाम को लेकर चर्चा हुई।
आकाश शर्मा का पलड़ा भारी
रविवार को हुई चुनाव समिति की बैठक में 14 दावेदारों के नाम आए थे जिनमें प्रमोद दुबे आकाश शर्मा कन्हैया अग्रवाल और ज्ञानेश शर्मा के नाम को लेकर चर्चा हुई। बैठक में शामिल नेताओं का कहना है कि टिकट को लेकर आकाश शर्मा का पलडा भारी है।
जीतने वाला वोट
रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है। पूर्व सांसद सुनील सोनी को प्रत्याशी बनाया गया है। इधर शनिवार को कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे ने भी नामांकन फार्म ले लिया तो बीजेपी वालों को भी लगा कि सुनील के सामने प्रमोद होंगे। हालांकि कांग्रेस ने अब तक नाम की घोषणा नहीं की है। बावजूद इसके बीजेपी यही मानकर चल रही है कि प्रदेश में उसकी सरकार है। इसलिए जनता कांग्रेस को जीतने वाला वोट नहीं करेगी। रायपुर में 13 नवंबर को मतदान होगा 23 को नतीजे आएंगे।
कांग्रेस का है कमजोर संगठन
कांग्रेस का संगठन बीजेपी की तुलना में कमजोर है। 2004 से छत्तीसगढ़ से कांग्रेस सत्ता से बाहर थी। सन् 2013 में झीरम कांड में नक्सली हमले ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के खात्में के बाद भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी। भूपेश बघेल के नेतृत्व में 2018 का चुनाव कांग्रेस जीत तो गई लेकिन भूपेश बघेल पर आरोप लगा कि उनके कार्यकाल में कार्यकत्र्ताओं की भारी उपेक्षा हुई। प्रदेश में पांच लोग मिलकर सरकार चला रहे थे। नतीजा यह हुआ कि भूपेश बघेल दोबारा कांग्रेस की सरकार नहीं बना पाए। सरकार और संगठन के बीच दूरियां बढ़ती गयी। उसकी वजह यह भी है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भूपेश और टीएस सिंह देव लड़ते रहे। और कार्य करताओं के काम नहीं किये गए। इस वजह से वह सरकार से दूरी बना लिया। यही स्थिति अब भी है। रायपुर का दक्षिण उप विधान सभा चुनाव किसके नेतृत्व में कांग्रेस लड़ेगी तय नहीं है। हारने पर कौन जवाबदेही होगा यह भी तय नही है।
भूपेश ओबीसी की छवि में कैद रहे
राज्य में बीजेपी की रणनीति को फेल करने भूपेश बघेल अपनी तरफ से हिन्दूवादी छवि गढ़ने कोशिश की। लेकिन वो अंदर से ओबीसी की छवि से बाहर नहीं निकल पाए। उन्होंने राम वनगमन पथ बनवाया, कई मंदिर बनावाए, गौ संरक्षण और गौ संपदा की योजनाएं चलाईं। गोबर और गौ मूत्र भी उनकी सरकार खरीदी। यह अलग बात है कि उनका गोठान भ्रष्टाचार का शिकार हुआ। राज्य में तीन फीसदी मुस्लिम हैं। फिर भी हिन्दू- मुस्लिम दंगे हुए। इस पर भूपेश कार्रवाई करने की बजाए चुप रहे।
कैसे- कैसे आरोप
टिकट को लेकर जो आरोप बीएसप की मायावती पर लगते थे,वहीं आरोप कांग्रेस प्रभाराी कुमारी शैलेजा पर लगे। स्थानीय नेताओं और पूर्व विधायकों ने टिकट के एवज में पैसे लेने का आरोप लगाया। पूर्व विधायक विनय जायसवाल ने तो केंद्र से आए कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव चंदन यादव पर सात लाख रुपए लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा वो पैसा अगर पार्टी फंड में जमा किया गया हो तो उसकी जांच होनी चाहिए। इस बार एक टिकट देने में किस तरह का सौदा हुआ होगा, अभी कोई नहीं जानता। लेकिन कुछ लोग कह रहे हैं कि किसी के कहने पर ही प्रमोद दुबे ने नामांकन फार्म खरीदा होगा। उन्हेें पूरा यकीन हो गया था कि टिकट उन्हें ही मिलेगी। मिल गयी तो ठीक। नहीं मिली तो क्यों नही मिली, सवाल उठेंगे ही। और यही सवाल कांग्रेस की हार का कारण बनेगा।
पांच सौ पुलिस कर्मी चुनाव में
चुनाव आयोग ने प्रत्याशी के लिए प्रचार खर्च की सीमा भी तय कर दी है। प्रत्याशी 40 लाख रुपए से ज्यादा नहीं खर्च कर सकेंगे। मतदान के लिए 253 केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों के सुरक्षा की जिम्मेदारी में 500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। सुरक्षा की दृष्टि से अस्थाई चैकियां बनाई जाएंगी। इसके अलावा मतदान केंद्रों की लाइव वेबकास्टिंग कराई जाएगी।